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पूरी दुनिया को छोड़कर आखिर क्यों भगवान भारत में ही लेते है जन्म ,इस सवाल का जवाब प्रेमानंद जी महाराज ने दिया ऐसा

वृंदावन की संत प्रेमानंद महाराज से मिलने हजारों लोग आते हैं और कई तरह के प्रश्न पूछते है। इनमें से कुछ लोगों के सवाल बहुत ही अजीब होते हैं। बाबा हर व्यक्ति को अपने जवाब से संतुष्ट करने का प्रयास करते हैं और उन्हें भागवत मार्ग पर लाने की कोशिश करते हैं।

कुछ दिनों पहले एक व्यक्ति ने बाबा से पूछा कि जब भगवान के लिए संपूर्ण पृथ्वी एक समान है भारत पर बार-बार भारत भूमि पर ही क्यों जन्म लेते हैं। आईए जानते हैं इसके बारे में प्रेमानंद बाबा ने क्या कहा।

वैसे तो भगवान सभी के अंदर विराजमान है

प्रेमानंद महाराज ने कहा कि वैसे तो भगवान सभी के अंदर विराजमान है। लेकिन यह सिर्फ भक्तों के हृदय में ही क्यों प्रकाशित होते हैं। सबके हृदय में क्यों प्रकाशित नहीं होते। इसके पीछे का कारण है कि भक्तों ने अपने हृदय को भक्ति के द्वारा मार्जन करके अविधा का नाश करके भगवान को प्रकाशित कर लिया है। इस तरह विश्व में सिर्फ भारत ही संतों की भूमि और महा भागवत की भूमि है। इसलिए भगवान सिर्फ यही अवतरित होते हैं।

किस देश की नदी ऐसी है जहां स्नान करने मात्र से सभी पाप दूर हो जाते है

प्रेमानंद महाराज ने कहा कि किस देश की नदी ऐसी है जहां स्नान करने मात्र से सभी पाप दूर हो जाते है। ऐसा सिर्फ भारत में ही संभव है यहां की मिट्टी को स्पर्श करने की योजना बड़े-बड़े ऋषि मुनि करते हैं। अवध ,काशी ,वृंदावन ,द्वारिका में बड़े-बड़े संत महात्मा है। इसलिए भगवान ने इन स्थानों पर जन्म लेकर इन्हे परम पवित्र किया ।

भूमि में जन्म लेना महान सुख और सौभाग्य का प्रतीक है

जब दूसरे देश के लोग यहां आते हैं तो वह भी चोटी रखते हैं ,धोती पहनते हैं ,कंठी बांधते है ,माला हाथ में लेते है। ये भूमि का प्रताप है। प्रेमानंद महाराज ने कहा कि पुरे विश्व में तो क्या तीनों लोकों में भारत जैसी कोई जगह नहीं है। यह कर्म क्षेत्र है ,यही धर्म क्षेत्र , यही ज्ञान क्षेत्र और यही प्रेम क्षेत्र भी है। महाभारत में भगवान विष्णु के अवतार ऋषि वेदव्यास ने लिखा है कि भारत भूमि में जन्म लेना महान सुख और सौभाग्य का प्रतीक है।

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