भारत से जंग के बीच आसिम मुनीर को मिली बेतहाशा ताकत, पाक SC का हैरान करने वाला फैसला!

Asim Munir got immense power amidst the war with India, Pak SC's shocking decisionAsim Munir got immense power amidst the war with India, Pak SC's shocking decision

इस्लामाबाद: भारत से जारी जंग के बीच पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सेना और कुख्यात आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर को बेतहाशा ताकत दे दी है। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने आम नागरिकों के लिए चिंतानजक फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने बुधवार को अपने फैसले में कहा कि आम नागरिकों पर भी मिलिट्री कोर्ट में केस चल सकते हैं, जिसकी सजा मृत्युदंड तक होती है। इस तरह जनरल आसिम मुनीर के हाथ में यह पावर आ गई है कि वह देश और सेना के लिए खतरा बताकर किसी भी नागरिक के खिलाफ मिलिट्री कोर्ट में केस चलवा सकते हैं। ऐसी स्थिति पाकिस्तान के आम नागरिकों और खासतौर पर विपक्षियों के लिए बड़ी चिंताजनक है।

पाकिस्तान की अदालत ने 7 मई को फैसला सुनाया, जिसमें पुराने निर्णय को पलट दिया गया। पहले अदालत ने अपने एक फैसले में कहा था कि मिलिट्री कोर्ट में नागरिकों के खिलाफ केस चलना असंवैधानिक है, लेकिन अब उस निर्णय को पलट दिया गया है। इससे सीधे तौर पर जनरल आसिम मुनीर मजबूत हो गए हैं। पहले ही आसिम मुनीर राजनीतिक नेतृत्व के मुकाबले कहीं ज्यादा मजबूत हैं और वही सारे अहम निर्णय ले रहे हैं। दरअसल यह फैसला 9 मई, 2023 को इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद हुए हिंसक प्रदर्शनों के मामलों को लेकर है। ये खबर आप हिमाचली खबर में पढ़ रहे हैं। । अब इमरान खान के समर्थकों पर मिलिट्री कोर्ट में केस चल सकेगा और उन्हें खौफनाक सजाएं भी दी जा सकती हैं।

भारत से तनाव के बीच यह अहम फैसला आया है, जब सेना के खिलाफ कोई टिप्पणी भी नहीं कर सकता। इस वक्त पाकिस्तान में सेना के खिलाफ बोलने से उसे देशविरोधी करार दिया जा सकता है। माना जा रहा है कि शीर्ष अदालत से ऐसा फैसला दिलाने के लिए जानबूझकर यह वक्त चुना गया। बता दें कि 9 मई की हिंसा के मामले में इमरान खान के करीब 1000 समर्थकों को अरेस्ट किया गया था। यही नहीं पीटीआई का कहना था कि उसके सैकड़ों समर्थकों को बिना किसी सबूत के ही जेलों में डाल रखा है। दरअसल अक्तूबर 2023 में अदालत ने फैसला दिया था कि मिलिट्री कोर्ट्स में नागरिकों के खिलाफ फैसला देना गलत है। फिर इस फैसले पर कई अपीलें दायर हुई थीं, जिन पर सुनवाई करते हुए 7 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अपना पुराना फैसला ही पलट दिया।