Supreme Court : व्हाट्सअप यूजर्स के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जारी की जरूरी चेतावनी, इग्नोर करना पड़ जाएगा भारी…!

Gazab Viral, Digital Desk- (Supreme Court) देश के सर्वोच्च न्यायालय ने करोड़ों WhatsApp यूजर्स को महत्वपूर्ण चेतावनी दी है, विशेष रूप से उन यूजर्स के लिए जो अपने प्रीपेड मोबाइल नंबर को बदलने का विचार कर रहे हैं। कोर्ट के हालिया फैसले में यह स्पष्ट किया गया है कि टेलिकॉम कंपनियों जैसे एयरटेल (airtel), रिलायंस (reliance) जियो (jio) और वोडाफोन-आइडिया को यूजर्स का पुराना नंबर डिएक्टिवेट होने के बाद नए सब्सक्राइबर्स को देने की अनुमति है, जिससे निजता पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

आसान भाषा में समझें तो टेलिकॉम कंपनियां एक तय वक्त पूरा होने के बाद आपका पुराना नंबर किसी नए यूजर को दे सकती हैं। अब अगर यह नंबर आप WhatsApp अकाउंट के लिए इस्तेमाल करते रहे हैं तो आपकी दिक्कतें बढ़ सकती हैं। अगर आपका वॉट्सऐप उस पुराने नंबर से चल रहा है, जिसे अब किसी और को दे दिया गया है तो नया यूजर आपके वॉट्सऐप अकाउंट में सेंध लगा सकता है। उसे केवल नंबर पर आने वाले OTP के साथ लॉगिन करना होगा। 

सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी में क्या कहा? 

सुप्रीम कोर्ट ने वॉट्सऐप यूजर्स (whatspp users) को चेतावनी दी है कि नंबर बदलने से पहले अपना डेटा डिलीट करना आवश्यक है। यदि आप प्रीपेड नंबर बदल रहे हैं, तो पहले अपना वॉट्सऐप अकाउंट डिलीट करें या उसे नए नंबर पर ट्रांसफर करें। इसके लिए, वॉट्सऐप के अकाउंट सेक्शन में जाकर “अकाउंट से लिंक नंबर” में बदलाव कर सकते हैं। 

दायर की गई याचिका कोर्ट ने की रद्द-

एडवोकेट राजेश्वरी की ओर से सुप्रीम कोर्ट (supreme court) में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें साफ कहा गया था कि टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) को मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर्स को डिएक्टिवेट किए गए मोबाइल नंबर नए सब्सक्राबर्स को देने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। जस्टिस संजीव खन्ना और SVN भट्टी की बेंच ने इस याचिका को रद्द कर दिया और कहा कि टेलिकॉम कंपनियों (telecom companies) को पुराने बंद हो चुके नंबर नए ग्राहकों को देने की अनुमति है। 

कोर्ट ने साफ किया है कि यूजर अगर अपने नंबर का गलत इस्तेमाल नहीं होने देना चाहता तो वह उससे जुड़ा वॉट्सऐप अकाउंट (whatsapp account) और डाटा समय रहते डिलीट (delete) कर सकता है। बेंच ने कहा है कि यह तय करना पुराने सब्सक्राइबर की जिम्मेदारी है कि उसके नंबर का गलत इस्तेमाल ना किया जा सके और नंबर से जुड़ा डाटा समय पर डिलीट कर दिया जाए। चेतावनी में भी कोर्ट ने यही कहा है कि यूजर्स को उनकी प्राइवेसी (privacy) का पूरा ध्यान रखना चाहिए। 

यह है नंबर से जुड़ा TRAI का नियम-

न्यायालय का फैसला दूरसंचार विभाग की ओर से अप्रैल, 2017 में तय किए गए नियमों से जुड़ा है। ये नियम बताते हैं कि  अगर कोई मोबाइल नंबर लंबे वक्त तक इस्तेमाल ना होने, रीचार्ज (recharge) ना किए जाने या फिर सब्सक्राइबर्स की रिक्वेस्ट के चलते डिएक्टिवेट हो गया है, तब भी कम से कम 90 दिनों तक इसे नए यूजर को असाइन नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने माना है कि यह नियम तय करता है कि पुराने सब्सक्राबर्स (subscribers) को पूरा वक्त दिया जाए और फौरन उसका नंबर किसी नए यूजर के लिए एक्टिवेट (activate) ना किया जाए।