काफिर हिंदूओं को मारकर कुतुबुद्दीन ने पहाड़ से ऊंची बनाई नरमुंडो की मीनार। चील-कौवों को खिलाई लाशें। क्रूरता जान खून खौल उठेगा ♩!

काफिर हिंदूओं को मारकर कुतुबुद्दीन ने पहाड़ से ऊंची बनाई नरमुंडो की मीनार, चील-कौवों को खिलाई लाशें, क्रूरता जान खून खौल उठेगा

हजारों हिंदू मंदिर तोड़ने वाले और लाखों हिंदुओं का कत्लेआम करने वाले मुगल शासकों को भारतीय इतिहास में महान बताने की पूरी कोशिश की गई है। परन्तु हमें कभी यह नहीं बताया गया कि उन्होंने हिंदुओं पर किस तरह के अत्याचार किए। ये खबर आप हिमाचली खबर में पढ़ रहे हैं।

आज हम आपको मुस्लिम इतिहासकारों द्वारा लिखी गई किताबों के आधार पर कुतुबुद्दीन नाम राक्षस के द्वारा हिंदुओं पर की गई क्रूरताओं के बारे में बताएंगे, जिसे सुनकर आपका खून खौल उठेगा।

चील-कौवों को खिलाई लाशें 1193 में अलीगढ़ के पास हिंदुओं के विद्रोह हुआ। हर मुगल राजा की तरह कुतुबुद्दीन ऐबक ने भी विद्रोह को खत्म करने के हिंदुओं को खत्म करने का फैसला लिया। कुतुबुद्दीन ऐबक ने हजारों हिंदुओं को मरवा दिया। बचपन से कुरान को मानने वाले कुतुबुद्दीन को काफिरों (हिंदू) के साथ क्रूरता की सभी हदें पार करदी। कुतुबुद्दीन ने उनके मानव सिरों की तीन गगनचुम्बी मीनारें बनवाईं। इसके बाद उनके शवों को चील और कौओं को खिला दिया गया।

पहाड़ की चोटी तक बनाई नरमुंडों की मीनार 3 , 1197 रविवार को माउंट आबू की तलहटी में राजा राय कर्ण के नेतृत्व में लड़ रहे हिंदू हार गए। इसके बाद 50,000 से अधिक हिंदुओं को मार डाला गया और उनके मानव सिरों की इतनी ऊंची मीनार बनवाई गई। मीनार की मीनार इतनी ऊंची बन गई कि वह पहाड़ की चोटी के बराबर हो गई।

काफिरों को डराने के लिए करते थे क्रूरता हिंदुओं पर जुल्म करना, उनकी जान लेना और उनके धार्मिक आस्था को भंग करना मुस्लिम शासको के लिए उपलब्धि मानी जाती थी। हिंदुओं का कत्लेआम कर उनके नरमुंडों की दीवार बनाकर मुस्लिम शासक अपनी ताकत का पैगाम देते थे ताकि आगे से कोई उनके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत तक ना कर सकें। आपको बता दें यह जानकारी ताज-उल-मासिर नामक किताब के आधार पर लिखी गई है।