रानी लक्ष्मीबाई की इस आखिरी इच्छा के लिए शहीद हुए थे 345 साधु, प्राणों की दी थी बलि….!

345 saints were martyred for this last wish of Rani Lakshmibai, they sacrificed their lives345 saints were martyred for this last wish of Rani Lakshmibai, they sacrificed their lives

Rani Lakshamibai: भारतीय इतिहास रानी लक्ष्मीबाई की वीरता और साहस के किस्सों से भरा है. उन्होंने झांसी के लिए मरते दम तक अंग्रेजों से लोहा लिया था. रानी लक्ष्मीबाई की इस अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए कई साधुओं ने अपने प्राण त्यागे थे.

महारानी लक्ष्मीबाई झांसी का रानी थी. उन्होंने मरते दम तक झांसी को अंग्रेजों के हवाले न करने की कसम खाई थी. उनके पति गंगाधर की मृत्यु के बाद अंग्रेज झांसी को ब्रिटिश शासन के अधीन करना चाहते थे, हालांकि महारानी ने मरते दम तक ऐसा होने नहीं दिया.

रानी लक्ष्मीबाई ने साल 1857 के विद्रोह में अंग्रेजों के खिलाफ अपनी सेना का नेतृत्व किया. उन्होंने अंग्रेजों को यह कहकर ललकारा की वह मरते दम तक अपनी झांसी किसी को नहीं देने वाली हैं.

अंग्रेजों ने गंगाधर राव की मृत्यु के बाद उनके और रानी लक्ष्मीबाई के दत्तक पुत्र दामोदर राव को झांसी का अगला उत्तराधिकारी मानने से मना कर दिया था. अंग्रेजों का आदेश न मानने पर रानी पर कई हमले की कोशिश की गई, लेकिन अंग्रेजों को उसमें मुंह की खानी पड़ी.

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और अंग्रेजों के बीच 18 जून साल 1858 को हुई जंग आज भी इतिहास में दर्ज है. अंग्रेजों ने महारानी को हर ओर से घेर लिया था, लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी. महारानी अंग्रेजी सिपाहियों की गर्दन काटती हुए अपने घोड़े को लेकर आगे निकलीं.

अंग्रेजों के साथ इस युद्ध में महारानी और उनका घोड़ा घायल हो गए थे. उनके सैनिक रानी को पास के एक शाला में ले गए, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली. रानी की आखिरी इच्छा थी अंग्रेज उनके शव को बिल्कुल भी नहीं छू पाएं.

रानी का अंतिम संस्कार करने के लिए कई साधु और उनके सैनिक गंगादास वहां इकट्ठा हुए. गंगादास ने रानी का अंतिम संस्कार करने के लिए अंग्रेजी सेना को रोकने का आदेश दिया. िस दौरान रानी के शव की रक्षा करने के लिए वहां मौजूद 745 साधुओं ने अपने प्राण न्यौछावर किए थे.