

China Molten Salt Nuclear Reactor: चीन को क्लीन एनर्जी टेक्नीक में बड़ी सफलता हाथ लगी है. चीनी वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्वक ऑपरेशनल थोरियम मोल्टन साल्ट रिएक्टर में नया ईधन ( Fuel) डाला है. इसके लिए वैज्ञानिकों ने ईधन के रूप में थोरियम का इस्तेमाल किया है. इस लॉन्ग टर्म स्टेबल ऑपरेशन के जरिए चीन को अपनी ऊर्जा क्षमता बढ़ाने में मदद मिली है. चीन की इस सफलता पर भारत भी अपनी नजर बनाए रख सकता है क्योंकि भारत में थोरियम का विशाल भंडार है.
ईधन के तौर पर काम आएगा थोरियम
‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक थोरियम प्रोजेक्ट के साइंटिस्ट जू होंग्जी का कहना है कि यह न्यूक्लियर रिएक्टर गांसु प्रांत के गोबी रेगिस्तान में स्थित है. वहीं ईधन के तौर पर यह थोरियम मॉल्टन साल्ट का इस्तेमाल करता है. इस रिएक्टर को 2 मेगावाट थर्मल पावर पैदा करने के लिए बनाया गया है. बता दें कि थोरियम जमीन की परत में पाया जाने वाला रेडियोएक्टिव एलिमेंट है. इसका इस्तेमाल ईधन के रूप में किया जाता है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक यह एनर्जी रिवॉल्यूशन साबित हो सकता है. वहीं यूरेनियम के मुकाबले थोरियम को ज्यादा सुरक्षित और अधिक उपलब्ध विकल्प भी माना जाता है.
1970 में शुरु हुआ था प्रोजेक्ट
बता दें कि चीन का थोरियम मोल्टन सॉल्ट रिएक्टर प्रोजक्ट 1970 के दशक में शुरु हुआ था. साल 2009 में वैज्ञानिक जू को अगली पीढ़ी की न्यक्लियर एनर्जी टेक्नीक को वास्तविक बनाने का काम सौंपा गया था. वहीं साल 2018 में एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर का निर्माण शुरु होने के बाद तेजी से यह अक्टूबर साल 2023 में बनकर पूरी तरह तैयार हो गया. जून 2024 तक यह अच्छे से चलने लगा था. वहीं इसके 4 महीने बाद रिएक्टर के चालू रहने के दौरान इसमें वापस थोरियम ईंधन भरने की प्रक्रिया पूरी की गई.
बिजली के लिए बनाया जा रहा एक और रिएक्टर
चीन में अभी एक और बड़ा थोरियम मोल्टन साल्ट रिएक्टर बनाया जा रहा है. यह साल 2030 तक पूरा बनकर तैयार हो सकता है. यह रिसर्च रिएक्टर 10 मेगावाट इलेक्ट्रिसिटी का प्रोडक्शन करने के लिए डिजाइन किया गया है. बता दें कि थोरियम रिएक्टर टेक्नीक भविष्य में एनर्जी प्रोडक्शन के लिए बेहद जरूरी हिस्सा बन सकती है. ये टेक्नीक सुरक्षित के साथ टिकाऊ भी है. इससे चीन ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बन सकता है.