tenants rights : किराएदारों को मिले 5 कानूनी अधिकार, अब मकान मालिक की नहीं चलेगी मनमर्जी…!

Gazab Viral – (Tenant’s rights) किराएदारी कानून के तहत किराएदारों के अधिकारों को पुख्ता किया गया है। इससे मकान मालिकों की मनमर्जी पर भी अंकुश लगता है। इन अधिकारों की जानकारी लेकर किराएदार कहीं भी आराम से किराए पर रह सकता है और मकान मालिक (landlord’s property rights) से विवाद होने की स्थिति से भी बच सकता है।

कई बार देखा जाता है कि मकान मालिक किराएदार पर किराए को लेकर या किसी अन्य बात के लिए दबाव बनाता है। ऐसे में किराएदार व मकान मालिक, दोनों के लिए ही इन अधिकारों (property rights) को जानना बेहद जरूरी है।

पहले जान लें किराया नियंत्रण अधिनियम के बारे में –

1948 में बनाए गए केंद्रीय किराया नियंत्रण अधिनियम का मकसद था कि जमींदार और किराएदार के अधिकारों (rights of landlord and tenant) का संरक्षण किया जाए। एक दूसरे के द्वारा कभी शोषण न किया जाए। इस अधिनियम में संपत्ति को किराए पर देने के नियमों को दर्शाया गया है। वैसे हर राज्य का अपना किराया नियंत्रण अधिनियम (Rent Control Act) थोड़ा बहुत अलग होता है। राज्य अनुसार नियमों का भी ध्यान रखें। 

1. रेंट एग्रीमेंट है किराएदार का हक- 

किराया नियंत्रण अधिनियम (Rent Control Act) में बताए गए नियमों के अनुसार किराए पर कमरा लेते समय मकान मालिक से  लिखित व हस्ताक्षर सहित समझौता पत्र यानी रेंट एग्रीमेंट लें ताकि भविष्य में विवाद होने  पर प्रूफ रहे व मामले का निपटारा करने में आसानी रहे। जरूरत पड़ने पर पीड़ित की ओर से इसी आधार पर शिकायत की जा सकती है। रेंट एग्रीमेंट (Rent agreement rules)  लेना किराएदार और मकान मालिक दोनों का ही हक है।

2. अचानक घर से नहीं निकाल सकता मकान मालिक-

मालिक बेवजह किराएदार को घर से बाहर नहीं कर सकता।इसके लिए उसे ठोस कारण बताना होगा। ये खबर आप हिमाचल से में पढ़ रहे हैं। बिना ठोस कारण के कमरे से बाहर करना कानूनी रूप से गलत है।

अगर किराएदार 2 महीनों से किराया नहीं देता, प्रॉपर्टी में कमर्शियल या गैर कानूनी काम करे या संपत्ति (property rights) को नुकसान पहुंचाए तो मकान मालिक कमरे से बाहर निकाल सकता है। अगर किराएदार को बाहर करना है तो किराएदार को घर से बाहर निकालने के लिए 15 दिन का नोटिस (notice rules for tenant) मकान मालिक की ओर से मिलना जरूरी होता है।

3. मूलभूत सुविधाएं किराएदार का हक-

मकान मालिक की ओर से बिजली, पानी, पार्किंग जैसी मूलभूत सुविधाएं किराएदार (basic amenities for tenant) को देनी होती हैं। मकान मालिक इन सुविधाओं के लिए मना नहीं कर सकता। अगर मकान मालिक मना करता है तो संबंधित प्राधिकारी को कानूनी कार्रवाई के लिए शिकायत की जा सकती है।

मकान मालिक (lanlord’s property rights) से किराए सहित सभी तरह का समझौता हो जाने के बाद मकान मालिक किराएदार की निजता को भंग नहीं कर सकता। वह बार-बार किराएदार को कमरे में घुसकर परेशान नहीं कर सकता। किराएदार के कमरे में जाने के लिए भी मकान मालिक को परमिशन लेनी होती है।

4. किराया बढ़ाने के लिए देना होगा नोटिस- 

अगर मकान मालिक किराया बढ़ाना चाहता है तो मकान मालिक (mkan malik ke adhikar) की ओर से किराएदार को नोटिस देना होता है। यह 3 महीने पहले दिया जाना चाहिए, मनमाना किराया मकान मालिक की ओर से नहीं वसूला जा सकता। मार्केट रेट के हिसाब से किराया (room rent rules) तय किया जाना चाहिए और साथ ही संपत्ति के मूल्य ह्रास को जोड़कर किराएदार से किराया लेना चाहिए।

किराएदार परिवार के साथ रहता हो और अचानक किराएदार की मौत हो जाए तो मकान मालिक किराएदार के परिवार को उस स्थिति में घर से बाहर नहीं निकाल सकता। मकान मालिक इस स्थिति में नया एग्रीमेंट पहले के एग्रीमेंट (rent agreement) से बची हुई अवधि के लिए कर सकता है।

5. मकान के रखरखाव की जिम्मेदारी –

किराए पर रहने के दौरान मकान या जिस कमरे को किराए पर किराएदार (tenant and lanlord property rights) को दिया गया है, उसके  रखरखाव के लिए मकान मालिक को खर्च उठाना पड़ता है। हालांकि इसके बारे में किराएदार से बात करके मकान मालिक आपस में समझौता कर सकते हैं।

मकान के किराए के अलावा कई बार मकान मालिक किराएदार (kirayedar ke adhikar) से सिक्योरिटी मनी भी जमा कराने की बात कहते हैं। इसको बाद में मकान मालिक की ओर से वापस करना होता है। किराएदार द्वारा घर छोड़े जाने के एक महीने बाद इसे वापस कर देना चाहिए।