

नई दिल्ली: कांग्रेस के सांसद प्रमोद तिवारी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बीजेपी, दोनों को मुर्शिदाबाद में हुई हालिया हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि परिवारों का पलायन रुकना चाहिए। वक्फ (संशोधन) अधिनियम पर विरोध प्रदर्शन के दौरान ये झड़पें हुई हैं। इन झड़पों में तीन लोगों की जान चली गई और कई परिवार अपने घर छोड़ने को मजबूर हो गए। तिवारी ने मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर कहा है कि उन्हें इससे बहुत ज्यादा पीड़ा हो रही है और अब पलायन रुक जाना चाहिए।
पलायन रुकना चाहिए- कांग्रेस नेता
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘मुर्शिदाबाद में जो हुआ उससे मुझे दुख है। पीड़ितों को न्याय मिलना चाहिए। पलायन रुकना चाहिए।’ उन्होंने आगे कहा, ‘अगर बांग्लादेश में कोई साजिश रची गई है, तो इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारें दोनों जिम्मेदार हैं।’ तिवारी की ये बातें बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल (TMC) कांग्रेस सरकार, दोनों पर हमला है।
‘कानून और व्यवस्था के लिए राज्य जिम्मेदार’
गौरतलब है कि कांग्रेस, इंडिया ब्लॉक में TMC की सहयोगी है। उन्होंने दोनों सरकारों पर हिंसा को रोकने और राज्य की सीमाओं को संभावित विदेशी साजिशों से बचाने में विफल रहने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘अगर कानून और व्यवस्था चरमरा गई, तो राज्य इसे संभाल नहीं पाया। मुझे लगता है कि केंद्र और राज्य दोनों ही दोषी हैं। स्थिति जल्द से जल्द सामान्य होनी चाहिए, और न्याय होना चाहिए।’
‘बंगाल में हिंसा की संस्कृति एक वास्तविकता’
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने भी हिंसा पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे राज्य में एक लगातार और गहरी जड़ वाली समस्या बताया। मालदा और मुर्शिदाबाद में प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने से पहले पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘बंगाल में हिंसा की संस्कृति एक वास्तविकता है। पश्चिम बंगाल की राजनीति में दो कैंसर हैं, एक हिंसा है, और दूसरा भ्रष्टाचार। हमें इसकी जड़ों पर प्रहार करना होगा।’
केंद्रीय बलों की तैनाती के बाद सुधार-राज्यपाल
राज्यपाल बोस ने कहा कि केंद्रीय बलों की तैनाती के बाद से जमीनी स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है।लेकिन, राजभवन के ‘पीस रूम’ में अभी भी संकट की शिकायतें मिल रही हैं। ये खबर आप हिमाचल से में पढ़ रहे हैं। उन्होंने पीड़ितों तक लगातार पहुंचने और रेड क्रॉस जैसे संगठनों के साथ मिलकर राहत प्रयासों को जारी रखने का वादा किया।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी जांच शुरू की
इस बीच, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने हिंसा की जमीनी स्तर पर जांच शुरू कर दी है। उन्हें मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन की रिपोर्ट मिली हैं। आयोग की एक टीम ने शुक्रवार को मालदा में शरणार्थी शिविरों का दौरा किया। उन्होंने उन परिवारों से गवाही ली जो मुस्लिम बहुल इलाकों शमशेरगंज, सुती, धुलियान और जंगीपुर से भाग गए थे।
भड़काऊ बयान न देने की चेतावनी
कलकत्ता हाई कोर्ट ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया है। इसमे निर्देश दिया है कि कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्रीय बल तैनात रहें। साथ ही, उन्होंने बीजेपी और TMC समेत सभी दलों के राजनीतिक नेताओं को भड़काऊ बयान देने के खिलाफ चेतावनी दी है, जिससे स्थिति और खराब हो सकती है। कोर्ट ने कहा है कि कोई भी ऐसा बयान न दे जिससे माहौल बिगड़े। सबको शांति बनाए रखने में मदद करनी चाहिए।
मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा को लेकर हर कोई चिंतित है। हालांकि, नेता लोग एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। लेकिन आम आदमी चाहता है कि शांति बनी रहे और जो लोग बेघर हो गए हैं, उन्हें जल्द से जल्द मदद मिले। फिलहाल, स्थिति तनावपूर्ण है।