

Rajasthan: राजस्थान के कोटा शहर स्थित एक प्रतिष्ठित सरकारी मेडिकल कॉलेज में लापरवाही की एक ऐसी चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने प्रदेशभर में चिकित्सा व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है।
यहां एक व्यक्ति अपने बेटे के ऑपरेशन के लिए अस्पताल आया था, लेकिन गलती से डॉक्टरों ने उसी व्यक्ति की सर्जरी कर दी। यह घटना 12 अप्रैल की बताई जा रही है, जिसके बाद अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया है।
Rajasthan News: क्या है पूरा मामला?
घटना कोटा के सरकारी मेडिकल कॉलेज के कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी विभाग की है। यहां एक मरीज के हाथ में डायलिसिस फिस्टुला बनाने की प्रक्रिया होनी थी। फिस्टुला एक सर्जिकल प्रोसीजर है, जिसमें नसों को जोड़कर एक ऐसा मार्ग बनाया जाता है, जिससे डायलिसिस के दौरान आसानी से रक्त लिया और वापस भेजा जा सके।
जिस मरीज की सर्जरी होनी थी, उसका नाम जगदीश था। हैरानी की बात यह रही कि उसी नाम का एक और व्यक्ति, जो कि एक मरीज (अपने बेटे) का अटेंडेंट था, ऑपरेशन थिएटर के बाहर बैठा हुआ था। उसके बेटे का इलाज प्लास्टिक सर्जरी विभाग में चल रहा था।
मरीज मनीष ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा कि, “मेरा एक्सीडेंट हुआ और मुझे चोट लगी। मैंने अपने पिता को फोन किया। मेरे पिता लकवाग्रस्त हैं और उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। शनिवार को मेरा ऑपरेशन होना था, इसलिए मैंने अपने पिता को ऑपरेशन थियेटर के बाहर बैठकर इंतजार करने को कहा मैं ऑपरेशन थियेटर में था। मुझे नहीं पता कि क्या हुआ, लेकिन उनके शरीर पर 5-6 टांके लगे हैं मुझे उस डॉक्टर का नाम याद नहीं है जिसने मेरा ऑपरेशन किया था मैं भी इसी हालत में लेटा हुआ हूँ। मैं क्या कर सकता हूँ?
Rajasthan: नाम की समानता बनी गलती की वजह
ऑपरेशन थिएटर स्टाफ ने जब सर्जरी के लिए “जगदीश” नाम लेकर पुकारा, तो बाहर बैठे अटेंडेंट जगदीश ने हाथ खड़ा कर दिया। स्टाफ ने बिना पुष्टि किए उसे ही अंदर बुला लिया और ऑपरेशन टेबल पर लिटा दिया। बिना किसी आईडी वेरिफिकेशन या मेडिकल क्रॉसचेक के, उसके हाथ में फिस्टुला बनाने के लिए चीरा लगा दिया गया।
सौभाग्यवश, उसी दौरान प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉक्टर ऑपरेशन थिएटर में पहुंचे, जहां उन्होंने देखा कि टेबल पर जो व्यक्ति लेटा है, वह मरीज नहीं बल्कि उसके बेटे का अटेंडेंट है।डॉक्टरों ने तुरंत ऑपरेशन रुकवाया और सर्जरी किए गए हाथ पर टांके लगवाकर व्यक्ति को बाहर भेजा गया। ये खबर आप हिमाचल से में पढ़ रहे हैं। इसके बाद असली मरीज की सर्जरी की गई।
पइस लापरवाही की जानकारी जैसे ही कॉलेज प्रशासन को मिली, मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. संगीता सक्सेना ने तुरंत एक जांच कमेटी का गठन किया। उन्होंने अस्पताल के सुपरिटेंडेंट को इस मामले की विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि इस तरह की लापरवाही किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषी मेडिकल स्टाफ पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।