Supreme Court Order : ससुराल की संपत्ति में अब बहू को मिलेगा ये अधिकार, सुप्रीम कोर्ट ने पलटा 2006 का फैसला…!

Gazab Viral – (Property Rights) ससुराल में बहू को पूरे परिवार व अन्य परिस्थितियों से सामंजस्य बनाना पड़ता है।इसके साथ ही ससुराल में उसके कुछ अधिकार भी होते हैं। ये खबर आप हिमाचल से में पढ़ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बहुओं की ससुराली संपत्ति में एक और नया अधिकार (wife’s property rights) देने संबंधी फैसला सुनाया है।इससे पहले यह अधिकार नहीं था, लेकिन अब कोर्ट ने कई साल पहले के फैसले को पलटकर यह हक प्रदान कर दिया है।

यह फैसला घरेलू हिंसा अधिनियम (domestic violence act) के तहत महिलाओं के अधिकारों को मजबूत करता है। इस फैसले में न्यायालय ने स्पष्ट किया कि बहू का सास ससुर की संपत्ति में कितना हक है। यह फैसला महिलाओं के अधिकारों और घरेलू हिंसा के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण जीत है। 

घर में रहने से नहीं किया जा सकता इन्कार-

सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने तरुण बत्रा मामले में पूर्व में दिए गए सुप्रीम कोर्ट (supreme court decision in property dispute) के ही दो जजों की पीठ के फैसले को पलट दिया है। इस फैसले के साथ, न्यायालय ने घरेलू हिंसा के पीड़ितों को उनके अधिकारों को प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया है।

इस फैसले में घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण पर 2005 के कानून को महत्वपूर्ण बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा की शिकार महिला का उसके पति के माता-पिता की साझा संपत्ति और रिहायशी घर पर पूरा अधिकार (daughters-in-law Property Rights)  है। उसे वहां पर रहने से इन्कार नहीं किया जा सकता, न ही उन्हें जबरन ससुराल की संपत्ति से नहीं निकाला जा सकता।

पहले यह सुनाया गया था फैसला- 

सुप्रीम कोर्ट की ओर से सुनाया गया यह एक महत्वपूर्ण फैसला है, जो साल 2006 में दिए गए फैसले को पलटता है। उस समय दो जजों की पीठ ने कहा था कि बहू अपने पति के माता-पिता की संपत्ति  (property rights in law)में नहीं रह सकती हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि पत्नि का केवल अपने पति की संपत्ति पर अधिकार होगा, सास-ससुर की संपत्ति पर नहीं।  लेकिन अब तीन जजों की पीठ ने इस फैसले को पलट दिया। 

साझा घर में भी बहू का अधिकार –

कोर्ट ने कहा कि बहू का सिर्फ अपने पति की संपत्ति में ही नहीं बल्कि उनके साझा घर में भी अधिकार है। साझा घर में पति का भी हक होता है इसलिए पत्नी के अधिकार (women’s property rights) को भी बरकरार रखा गया है। यह फैसला महिलाओं के अधिकारों के लिए एक बड़ी जीत है और यह सुनिश्चित करेगा कि उन्हें अपने पति के परिवार के घर में सम्मान और सुरक्षा मिले।

पति की स्वअर्जित संपत्ति पर हक-

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला महिलाओं के लिए आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए भी अहम है। इससे पहले बहुओं को ससुराल की संपत्ति में रहने का अधिकार (Property Rights)  नहीं था, जिससे उन्हें अक्सर ससुरालवालों के दबाव और शोषण का सामना करना पड़ता था। इस फैसले के अनुसार अगर पत्नी को पति द्वारा शोषित किया जा रहा है तो वह सास – ससुर की साझा संपत्ति पर अधिकार की भागीदार होंगी।

कोर्ट के अनुसार अब बहू को पति की स्वअर्जित संपत्ति (self acquired property rights) के अलावा ससुराल की पैतृक संपत्ति (ancestral property rights) और साझा संपत्ति में रहने का कानूनी रूप से पूरा अधिकार होगा।