

नई दिल्ली। वक्फ संशोधन विधेयक पर लोकसभा की तरह राज्यसभा में भी बहस के दौरान कांग्रेस समेत अन्य अनेक विपक्षी दलों ने प्रस्तावित कानून के प्रविधानों के अधिक सरकार की नीयत पर सवाल खड़े किए। सभी का यह साझा आरोप यह था कि विधेयक संविधान विरोधी है। कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी ने तो यह भविष्यवाणी कर दी कि अगर यह विधेयक पारित होकर कानून बनता है तो अगले कुछ सालों में न्यायपालिका से यह खारिज हो जाएगा।
सिंघवी की इस बात से गहरी आपत्ति व्यक्त करते हुए सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि यह दावा करना संसद की सर्वोच्चता और संप्रभुता पर सवाल खड़े करना है और एक संसद सदस्य को ऐसा नहीं करना चाहिए।
क्या हैं सिंघवी के आरप?
सिंघवी ने विधेयक के तमाम प्रविधानों पर सवाल खड़े करते हुए आरोप लगाया कि इसके माध्यम से सरकार का एक हाथ मुस्लिम समाज को यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि वह उसके भले के लिए काम कर रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि दूसरा हाथ उनसे उनकी जमीन और हक छीन रहा है।
बिल के विरोध के साथ मुस्लिमों के प्रति सहानुभूति सपा के रामगोपाल यादव और राजद के मनोज झा ने भी दिखाई। रामगोपाल ने कहा कि भाजपा सरकार का अतीत उसके प्रति भरोसा पैदा नहीं करता, खासकर मुस्लिमों के मन में। आज मुसलमान डरे हुए हैं। उन्हें नहीं लगना चाहिए कि उनके साथ अन्याय हो रहा है।
डीएमके और शिवसेना (यूबीटी) का क्या है पक्ष?
डीएमके तिरुचि सिवा ने कहा कि यह सेक्युलरिज्म के खिलाफ है और पांच किलोमीटर (संसद से) दूर सुप्रीम कोर्ट इसे खारिज कर देगा। शिवसेना (यूबीटी) के संजय राउत ने सरकार के इस दावे पर सवाल उठाया कि इस विधेयक के जरिये मुस्लिम गरीबों का भला किया गया है।