ट्रंप के ‘जवाबी टैरिफ’ पर सूझबूझ दिखा रहा भारत, चार विकल्पों के साथ तैयारी पूरी….!

India is showing understanding on Trump's 'retaliatory tariff', preparations are complete with four optionsIndia is showing understanding on Trump's 'retaliatory tariff', preparations are complete with four options

नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा बुधवार को घोषित किए जाने वाले ‘जवाबी टैरिफ’ पर भारत ने ‘रुको और देखो’ की नीति अपनाई है। अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत ने संयमित रुख अपनाते हुए पहले प्रभाव का विश्लेषण करने का निर्णय लिया है। ट्रंप प्रशासन द्वारा 2 अप्रैल को घोषित किए जाने वाले ‘मुक्ति दिवस टैरिफ’ को लेकर वैश्विक व्यापार जगत में हलचल है। अमेरिकी समयानुसार बुधवार शाम 4 बजे (भारत में गुरुवार तड़के) इस फैसले की घोषणा होगी। सोमवार को ट्रंप ने दावा किया था कि भारत समेत कई देश उनकी नीति के चलते अपने शुल्कों में भारी कटौती करेंगे।

चार संभावित परिस्थितियों के लिए तैयार सरकार
भारतीय अधिकारियों के अनुसार, सरकार ने चार संभावित परिस्थितियों और उनके भारतीय व्यापार पर होने वाले असर का अध्ययन किया है। यदि यह टैरिफ उत्पाद-विशेष होगा, तो चीन, मैक्सिको, कनाडा और यूरोपीय संघ के निर्यात सबसे अधिक प्रभावित होंगे। इससे भारतीय उत्पादों को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिल सकता है। अगर यह टैरिफ क्षेत्र-विशेष होगा, तो वैश्विक बाजार में सभी देशों को अतिरिक्त लागत और लाभ में कटौती का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, यदि यह टैरिफ किसी विशेष देश के लिए लगाया जाता है या द्वितीयक शुल्क के रूप में आता है, तो भारतीय अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “जब अमेरिकी नागरिकों को ही इस शुल्क की सटीक प्रकृति का अंदाजा नहीं है, तो ऐसे में हम पहले घोषणा का इंतजार करेंगे और फिर उसके कुल प्रभाव का आकलन करेंगे।”

ट्रंप के बयान और भारत का दृष्टिकोण
भारत इस स्थिति में संतुलित दृष्टिकोण अपना रहा है, क्योंकि वह किसी भी व्यापार समझौते का मूल्यांकन केवल शुल्कों के आधार पर नहीं, बल्कि सहयोग के आधार पर करता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “किसी भी द्विपक्षीय व्यापार समझौते में कुल प्रभाव का मूल्यांकन केवल शुल्क दरों से नहीं, बल्कि परस्पर सहयोग से किया जाता है।” उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के साथ भारत के मुक्त व्यापार समझौते (FTA) का उदाहरण देते हुए बताया कि भारत ने एलएनजी पर आयात शुल्क शून्य कर दिया क्योंकि देश को ऊर्जा की आवश्यकता है और इस उत्पाद में घरेलू प्रतिस्पर्धा नहीं है। भारत की संयमित प्रतिक्रिया का सबसे बड़ा कारण यह है कि अमेरिका के साथ उसके व्यापारिक संबंधों में प्रगति हो रही है। अधिकारी ने कहा, “अब तक कुछ भी गलत नहीं हुआ है। बल्कि, नई दिल्ली में प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर चार दिवसीय वार्ता सकारात्मक रही है।”

अमेरिकी प्रशासन का रुख
वॉशिंगटन में सोमवार को अमेरिकी प्रशासन ने एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की, जिसमें व्यापार से जुड़े शुल्क और गैर-शुल्क अवरोधों का विश्लेषण किया गया। रिपोर्ट में भारत समेत अमेरिका के व्यापारिक साझेदार देशों का उल्लेख किया गया। व्हाइट हाउस में मीडिया से बातचीत के दौरान ट्रंप ने कहा, “मुझे लगता है कि भारत ने अभी घोषणा की है कि वह अपने शुल्कों को बहुत अधिक घटाने जा रहा है। मैंने पूछा कि यह पहले क्यों नहीं किया गया? कई देश अपने शुल्कों में कटौती करेंगे।” इस बीच, अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने लगभग 3 ट्रिलियन डॉलर के वार्षिक आयातित उत्पादों पर 20% तक का शुल्क लगाने की योजना बनाई है। हालांकि, अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है और विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।

भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता और आगे की रणनीति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप ने 13 फरवरी को अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों को गहरा करने पर सहमति जताई थी। दोनों देशों ने “मिशन 500” के तहत 2030 तक कुल द्विपक्षीय व्यापार को 200 अरब डॉलर से बढ़ाकर 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। मंगलवार को संसद में वाणिज्य राज्यमंत्री जितिन प्रसाद ने कहा, “फिलहाल, अमेरिका ने भारत पर कोई जवाबी टैरिफ लागू नहीं किया है। दोनों देश व्यापार वार्ता के जरिए एक बहुपक्षीय और लाभकारी व्यापार समझौते की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।”

केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भी लोकसभा में स्पष्ट किया कि भारत की शुल्क नीति का उद्देश्य व्यापार को नियंत्रित करना, घरेलू उद्योगों की सुरक्षा करना और करों के माध्यम से राजस्व उत्पन्न करना है। भारत अब प्राथमिकता आधारित और मुक्त व्यापार समझौतों की दिशा में बढ़ रहा है, जिससे व्यापारिक बाधाओं को कम किया जा सके।

अन्य देशों की प्रतिक्रिया
भारत का सतर्क और संतुलित दृष्टिकोण यूरोपीय संघ (EU) की प्रतिक्रिया से बिल्कुल अलग है। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन ने मंगलवार को कहा, “यूरोपीय संघ ने मजबूत जवाबी कदम तैयार कर लिए हैं और यदि आवश्यक हुआ तो हम इसका उपयोग करेंगे।” ब्रिटेन भी अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए प्रयासरत है, लेकिन प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने स्वीकार किया कि अमेरिका द्वारा शुल्क लगाने की संभावना बनी हुई है। इस बीच, एशियाई क्षेत्र में व्यापार सहयोग मजबूत हो रहा है। चीन, जापान और दक्षिण कोरिया ने रविवार को पांच वर्षों में पहली बार आर्थिक वार्ता आयोजित की, जिसमें आपूर्ति श्रृंखला सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा की गई।

अमेरिका के प्रस्तावित ‘जवाबी टैरिफ’ को लेकर भारत ने कोई हड़बड़ी नहीं दिखाई है और स्थिति का पूरी तरह से मूल्यांकन करने के बाद ही किसी प्रतिक्रिया पर निर्णय लेगा। भारत की रणनीति द्विपक्षीय व्यापार वार्ता के जरिए स्थायी समाधान निकालने की है, जिससे अमेरिकी नीति का दीर्घकालिक प्रभाव कम किया जा सके।