tenant rights : मकान मालिक एक साल में कितना किराया बढ़ा सकता है, किराएदार जान लें अपने अधिकार…!

Gazab Viral – (tenant’s rights) जॉब या व्यापार के सिलसिले में या फिर करियर बनाने के लिए अधिकतर लोग अपने घर से दूर दूसरे शहरों में जाकर रहते हैं। यहां पर वे किराए पर घर लेकर रहने लगते हैं। ज्यादातर यही देखा जाता है कि न तो किराएदार कानूनी रूप से किराएदार के नियमों (rules for tenant)को फॉलो करता है और न ही मकान मालिक। किराए पर रखना और रहना सब आपसी बातचीत व समझौते पर चलता रहता है।

 लेकिन बता दें कि किराए पर रहने के लिए किराएदार और मकान मालिक के लिए कानून में विशेष प्रावधान किए गए हैं। इसी तरह का प्रावधान किराया (house rent rules in law) बढ़ाने के लिए भी किया गया है। इस बारे में मकान मालिक (rules for landlord) सहित किरायेदार को भी जान लेना चाहिए ताकि भविष्य में किसी दिक्कत-अड़चन का सामना न करना पड़े।

क्या होता है रेंट एग्रीमेंट-

प्रोपर्टी किराये पर देने वाले ही अधिकतर लोग रेंट एग्रीमेंट के नियमों (rent agreement rules) से अनजान होते हैं। सबसे पहले rent agreement को समझना जरूरी है।  मकान लेते समय कई लोग अपना आधार कार्ड आदि देकर रहने लगते हैं। यह तो केवल एक फॉर्मेलिटी है, पूरी औपचारिकता तो तब होती है जब किराये पर रहने संबंधी कानूनी नियमों का पालन किया जाए। मकान को किराए पर लेना हो या देना हो, रेंट एग्रीमेंट (rent property rights) जरूर बनवा लेना चाहिए। आपको बता दें कि रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 (registration act 1908)के सेक्शन 17 के तहत रेंट एग्रीमेंट के बारे में बताया गया है। इसकी आपको जानकारी रखनी चाहिए।

रेंट एग्रीमेंट की टाइम लिमिट-

अब बात आती है कि रेंट एग्रीमेंट (rent agreement format) कितने समय तक का होता है।  यह 11 महीने का ही होना चाहिए। हालांकि जरूरी नहीं है कि यह रेंट एग्रीमेंट 11 महीने (time limit for rent agreement) का ही बनेगा। यह अधिक महीनों के लिए भी बनवाया जा सकता है, लेकिन 11 महीनों का बनवाना सेफ्टी प्रदान करता है। 

मकान मालिक और किरायेदार के लिए 12 महीने (rent agreement time limit) से कम का एग्रीमेंट बनवाना आसान रहता है। एक तो इसकी प्रक्रिया आसान रहती है और दूसरा पहलू सुरक्षा का भी है। 11 महीने से ज्यादा का एग्रीमेंट कराएंगे तो (rent property rules) मकान मालिक व किरायेदार को सब रजिस्ट्रार के ऑफिस में कागजात (documents for rent agreement) लेकर इसे रजिस्टर्ड कराने के लिए चक्कर काटने पड़ते हैं।

 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट स्टांप ड्यूटी (rent agreement benifits) के हिसाब से भी सस्ता पड़ता है। 12 या अधिक महीनों का रेंट एग्रीमेंट बनवाने में ज्यादा खर्चा आता है,  यही कारण है कि अधिकतर लोग प्रोपर्टी किराये पर देते समय 11 महीने का ही रेंट एग्रीमेंट बनवाते हैं।

मकान मालिक के लिए कंडीशन –

रेंट एग्रीमेंट में मकान मालिक और किरायेदार (kirayedar Ke Adhikar)के लिए कई शर्तें होती हैं। मकान मालिक की जिम्मेदारी बनती है कि वह किरायेदार को मूलभूत सुविधाएं दे। इन सुविधाओं में किरायेदार को बिजली, पानी आदि आती हैं। 

इसके लिए मकान मालिक रेंट एग्रीमेंट (rent agreement terms and conditions) में तय किए गए रेट के अनुसार पैसे ले सकता है। वैसे तो मकान मालिक इन सुविधाओं के लिए मना नहीं कर सकता लेकिन फिर भी किराएदार को मकान मालिक (owner and tenant rights) से ये सब बातें प्रोपर्टी किराये पर लेने  से पहले क्लीयर कर लेनी चाहिए। 

किराया बढ़ाने का नियम-

रेंट एग्रीमेंट में किराया बढ़ाने का नियम भी तय होता है। ऐसा नहीं कि मकान मालिक (makan malik ke adhikar) किसी भी समय कितना भी मनमर्जी से किराया बढ़ा सकता है। इसके लिए बाकायदा नियम होता है जिसे मकान मालिक को फॉलो करना होता है। आमतौर पर मकान मालिक साल दर साल किराया (house rent ke niyam) बढ़ाता है तो किराएदार को यह जरूर देख लेन चाहिए कि क्या रेंट एग्रीमेंट अनुसार किराया बढ़ाया है या नहीं।

 रेंट एग्रीमेंट में यह भी जिक्र होता है कि कितना किराया मकान मालिक की ओर से बढ़ाया जा सकता है। वैसे हर राज्य में वहां के स्थानीय कानून में किराये को लेकर अलग नियम भी होते हैं, उसके अनुसार ही किरायेदार को सब कुछ जांच कर लेनी चाहिए। 

महाराष्ट्र में रेंट कंट्रोल एक्ट 1999 (Rent Control Act 1999)में बताया गया है कि प्रोपर्टी (property knowledge)मकान मालिक हर साल 4 प्रतिशत किराया बढ़ा सकता है। इसके अलावा स्टैंडर्ड किराया अलग होता है। अगर मकान मालिक मकान में कुछ सुविधाएं किरायेदार के लिए बढ़ाता है तो उसी हिसाब से किराया बढ़ा सकता है। अधिकतम 25 प्रतिशत तक की बढ़ौतरी किराये में मकान मालिक की ओर से एक साल (rent hike every year) में की जा सकती है।  

कॉन्ट्रैक्ट करना है तो क्या करें-

ज्यादातर देखने में आया है कि लोग रेंट एग्रीमेंट 11 महीने (11 month rent agreement rules)का ही बनवाते हैं। बाद में जरूरत हो तो इसे रीन्यू कराया जा सकता है। 11 महीने के रेंट एग्रीमेंट से मकान मालिक को कई फायदे होते हैं। सबसे पहले तो यह कि यह एग्रीमेंट रद्द करना आसान होता है। एक एग्रीमेंट खत्म होते ही मकान मालिक किराया बढ़ा सकता है। इसमें उसे आसानी रहती है और रेंट एग्रीमेंट (rent agreement time) की अवधि खत्म होने पर किरायेदार को उस प्रोपर्टी पर आगे कोई जबरन हक जमाने का अधिकार नहीं रहता। 

11 माह के एग्रीमेंट का फायदा (benefits of rent agreement) है कि लंबे समय तक मकान में रहने के बाद भी किराएदार मकान मालिक की उस प्रोपर्टी पर अपना अधिकार नहीं जमा सकता, जिसमें वह रह रहा था। इस वजह से हर तरह के विवाद से मकान मालिक बच जाता है। 

 लंबे समय के एग्रीमेंट का नियम-

11 माह के एग्रीमेंट के अलावा अगर किसी को पांच साल का एग्रीमेंट (agreement ke fayde) चाहिए तो उसे भी बनवाया जा सकता है। इसके बाद इसे रीन्यू करा सकते हैं। अगर लंबे समय तक किराये पर रहना चाहते हैं तो मकान मालिक से लंबे समय का रेंट एग्रीमेंट (5 year rent agreement rules) बनवा सकता है। इसके लिए आपको रेंट एग्रीमेंट को सब रजिस्ट्रार से रजिस्टर कराना होगा, जबकि 11 महीने वाले  लोग केवल नोटरी से काम चलाने की सोचते हैं, लेकिन पूरी कानूनी व विभागीय प्रक्रिया को पूरा कर लेना जरूरी होता है। 

नोटरी के जरिए बनवाया गया रेंट एग्रीमेंट (rules for rent agreement)भी वेलिड होता है और 5 साल का होने के बावजूद मकान मालिक बिना कोई कारण बताए किरायेदार को प्रोपर्टी से बाहर कर सकता है। लेकिन इसके लिए एक महीने का नोटिस  किराएदार (tenant rights) को देना होगा।