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Bank Deposit: बैंक इस समय डिपॉजिट की समस्या से जूझ रहे हैं। कहने का मतलब है कि लोग बैंकों में पैसा जमा कराने को लेकर अब पहले जैसी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। यदि हालात लंबे समय तक ऐसे ही रहते हैं, तो बैंक गंभीर नकदी संकट में फंस जाएंगे। हालांकि, बजट में मिडिल क्लास को इनकम टैक्स के मोर्चे पर मिली राहत बैंकों की इस परेशानी को कुछ हद तक हल कर सकती है।
बैंकिंग सेक्टर में बढ़ेगी तरलता
वित्तीय सेवा सचिव एम नागराजू का कहना है कि इनकम टैक्स में रहत से बैंकों में जमा के रूप में 40,000-45,000 करोड़ रुपये आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि 12 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स फ्री होने और इस तरह की दूसरी घोषणाओं से बैंकों में अतिरिक्त पैसा आएगा। बैंकों को डिपॉजिट के रूप में 40,000-45,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं। इससे बैंकिंग सेक्टर में तरलता बढ़ाने में मदद मिलेगी।
बजट में मिली है ये राहत
नागराजू ने आगे कहा कि इनकम टैक्स और TDS में छूट जैसे उपायों से बैंकों में जमा के रूप में लगभग 40,000-45,000 करोड़ रुपये आएंगे। अतिरिक्त डिपॉजिट से बैंकिंग प्रणाली की तरलता बढ़ेगी, जिससे उच्च लागत वाले उधार पर निर्भरता कम होगी। बजट में जहां 12 लाख तक की इनकम को टैक्स फ्री किया गया है। वहीं, वरिष्ठ नागरिकों के लिए बैंक एफडी पर ब्याज दर पर TDS लिमिट को 40,000 से बढ़ाकर 1 लाख रुपये किया गया है। जबकि 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए इस लिमिट को 40,000 से बढ़ाकर 50,000 रुपये करने का प्रस्ताव है।
TDS पर छूट से मिलेगा फायदा
वित्तीय सेवा सचिव के अनुसार, चूंकि टीडीएस सीधे तौर पर फिक्स्ड डिपॉजिट बिहेवियर को प्रभावित करता है, इसलिए हम कुछ गणनाओं के आधार पर वरिष्ठ नागरिकों की तरफ से बैंकों में 15,000 करोड़ रुपये से अधिक अतिरिक्त जमा की उम्मीद कर रहे हैं। इसी तरह, सामान्य नागरिकों से लगभग 7,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त जमा की उम्मीद है।
अभी ऐसे हैं हालात
वर्तमान में वरिष्ठ नागरिकों का डिपॉजिट करीब 34 लाख करोड़ रुपये है। 10 जनवरी, 2025 तक बैंकिंग प्रणाली में कुल जमाराशि 221.5 लाख करोड़ रुपये थी। वित्तीय सेवा सचिव ने कहा कि टैक्स स्लैब में बदलाव और न्यू टैक्स रिजीम के तहत उच्च कर-मुक्त छूट से बैंकिंग प्रणाली में करीब 20,000 करोड़ रुपये आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि बजट घोषणाओं के बाद बैंकों के साथ उनकी चर्चा में उन्होंने बजट में घोषित उपायों के कारण जमाराशि में वृद्धि की उम्मीद जताई है।
हर कोई नहीं करेगा खर्च
नागराजू ने कहा, हमें उम्मीद है कि करीब 20,000 करोड़ रुपये बैंकों में वापस आएंगे। यह (टैक्स सेविंग) एक अतिरिक्त आय है और हर कोई इसे खर्च नहीं करेगा। वे इसे कम से कम कुछ समय के लिए FD के रूप में रखेंगे। इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि कुल मिलाकर 40,000 करोड़ से 45,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त बैंकों में जमा होंगे। इससे बैंक अधिक उधार दे सकेंगे।
सरकार भी है चिंतित
बैंकों में घटते डिपॉजिट को लेकर सरकार भी चिंतित है। पिछले साल सितंबर में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि बैंकों को अपने कोर बिजनेस पर ध्यान देना चाहिए। यानी वह डिपॉजिट बढ़ाने और लोन बांटने पर फोकस करें। बैंकों को भी बिगड़ती स्थिति का आभास है। कुछ सरकारी बैंकों ने इसके लिए बाकायदा अलग टीम बनाई है, जिसका काम काम केवल घटते डिपॉजिट को बढ़ाना है। इसके साथ ही बैंक लोगों को पैसा जमा कराने के लिए अलग-अलग तरह से प्रेरित कर रहे हैं। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स (S&P Global Ratings) ने इस स्थिति पर अप्रैल, 2024 में चिंता जताते हुए कहा था कि अगर यही हालात बने रहते हैं, तो लोगों के लिए लोन लेना कठिन हो जाएगा।
क्यों आ रही है कमी?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि डिपॉजिट में कमी की एक सबसे बड़ी वजह है इन्वेस्टमेंट के अनगिनत आकर्षक विकल्प। बैंकों में पैसा रखना अब उतना आकर्षक नहीं रहा है। सेविंग अकाउंट पर बैंक साधारण ब्याज देते हैं। जबकि म्यूचुअल फंड या कुछ दूसरी इन्वेस्टमेंट स्कीम्स में काफी अच्छा रिटर्न मिल जाता है। इसलिए लोग बैंकों में पैसा रखने के बजाए अब उसे म्यूचुअल फंड या शेयर बाजार आदि में निवेश कर रहे हैं।
क्या हो सकता है असर?
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने आगाह किया था कि डिपॉजिट में लगातार कमी से बैंक लोन संबंधी नियमों को सख्त बना सकते हैं और लोगों के लिए लोन लेना मुश्किल हो जाएगा। बता दें कि बैंकों में लोग जो पैसा जमा करते हैं, बैंक उसी को कर्ज के रूप में देकर ब्याज से मुनाफा कमाते हैं। ऐसे में यदि बैंकों में पैसा ही जमा नहीं होगा, तो उनके पास लोन देने के लिए भी पर्याप्त धन भी नहीं होगा और वे लोन के आसान नियमों को कड़ा करने के लिए मजबूर हो जाएंगे। ऐसे में बैंकों में डिपॉजिट बढ़ना सभी के लिए महत्वपूर्ण है।