प्राचीन काल से हमारे ऋषि-मुनियों ने प्रकृति में छिपे चमत्कारी औषधीय पौधों की महिमा को पहचाना और उनका उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार, आध्यात्मिक साधना और ज्योतिषीय उपायों में किया। आज हम आपको दो ऐसे अद्भुत पौधों के बारे में बताएंगे, जिनके औषधीय, धार्मिक एवं ज्योतिषीय महत्व को जानकर आप भी चकित रह जाएंगे।
ये पौधे हैं अपराजिता और चिड़चिड़ा (लटजीरा या अपामार्ग)।
1. अपराजिता: सुंदर पुष्पों वाला चमत्कारी पौधा
परिचय: अपराजिता एक ऐसा पौधा है, जिसे आयुर्वेद में अत्यंत गुणकारी माना गया है। इसे कुछ स्थानों पर विष्णुकांता के नाम से भी जाना जाता है। इस पौधे के दो प्रकार होते हैं-एक जिसमें नीले रंग के पुष्प होते हैं, और दूसरा जिसमें सफेद पुष्प होते हैं। दोनों ही प्रकार के अपराजिता पौधे का आयुर्वेद, तंत्र और ज्योतिष में महत्वपूर्ण स्थान है।
आयुर्वेदिक उपयोग:
- त्वचा की चमक बढ़ाने के लिए: अपराजिता के पुष्प और पत्तों से तैयार उबटन का प्रयोग करने से चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़तीं। इसका नियमित उपयोग त्वचा को युवा बनाए रखता है और चेहरे पर अद्भुत चमक लाता है।
- पेशाब की पथरी के इलाज में: अपराजिता के पुष्पों को उबालकर उसका काढ़ा पीने से पेशाब की नली में फंसी पथरी बाहर निकल जाती है। यह उपाय अत्यधिक प्रभावी माना गया है।
- जलन से राहत: गर्मियों में पेशाब में जलन की समस्या होने पर अपराजिता के पत्तों को पीसकर पेट के निचले हिस्से पर लगाने से जलन में तुरंत राहत मिलती है।
धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व:
- अपराजिता को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है।
- प्राचीन काल में योद्धा अपनी शिखा में इस पौधे की जड़ बांधकर युद्ध में अपराजित रहने का संकल्प लेते थे। यह माना जाता था कि इससे शत्रु पर विजय अवश्य प्राप्त होती है।
- तांत्रिक साधनाओं में भी इस पौधे का विशेष महत्व है। इसका उपयोग कई मंत्र-तंत्र सिद्धियों में किया जाता है।
2. चिड़चिड़ा (लटजीरा या अपामार्ग): हर समस्या का समाधान करने वाला पौधा
परिचय: चिड़चिड़ा, जिसे लटजीरा और अपामार्ग के नाम से भी जाना जाता है, एक अत्यंत शक्तिशाली पौधा है। इसके बीज कपड़ों पर चिपक जाते हैं, इसलिए इसे लटजीरा कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस पौधे की जड़ में देवी गंगा का वास होता है, और इसे अमृत के समान माना गया है।
आयुर्वेदिक उपयोग:
- मजबूत दांतों के लिए: इस पौधे की दातुन करने से दांत मजबूत बने रहते हैं। इसके पत्तों को जलाकर बनाए गए मंजन का उपयोग करने से दांतों की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
- भूख को कम करने के लिए: प्राचीन काल में साधना करने वाले ऋषि-मुनि इसके बीजों की खीर बनाकर खाते थे। यह खीर भूख को लंबे समय तक नियंत्रित रखती थी, जिससे साधना में बाधा नहीं आती थी।
- बिच्छू के डंक से राहत: यदि किसी को बिच्छू काट ले, तो इस पौधे की जड़ को निकालकर प्रार्थना के साथ उस पर रगड़ने से डंक का विष तुरंत समाप्त हो जाता है। यह उपाय अत्यधिक कारगर है।
धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व:
- चिड़चिड़ा के पौधे को घर में लगाने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
- इसे गंगा जल के समान पवित्र माना जाता है और इसके प्रयोग से घर में सुख-शांति बनी रहती है।
- तांत्रिक साधनाओं में इस पौधे का उपयोग किया जाता है, विशेष रूप से बुरी शक्तियों से रक्षा के लिए।
निष्कर्ष:
अपराजिता और चिड़चिड़ा जैसे पौधे केवल औषधीय रूप से ही नहीं, बल्कि धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यदि इन पौधों का सही प्रकार से उपयोग किया जाए, तो कई समस्याओं का समाधान प्राप्त हो सकता है। इनकी महिमा हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी वर्णित है, जो इनके चमत्कारी गुणों की पुष्टि करती है।