
Mahamandaleshwar Hemangi Sakhi Maa
Nirmohi Akhara Mahamandaleshwar Himangi Sakhi: प्रयागराज में अगले साल 13 जनवरी से महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है. इस धार्मिक उत्सव में राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाला निर्मोही अखाड़ा भी आ रहा है. इस अखाड़े की स्थापना 1720 में वैष्णव संत और कवि रामानंद ने की थी. इस अखाड़े की महामंडलेश्वर हिमांगी सखी हैं. हिमांगी सखी मां एक किन्नर हैं. आइए जानते हैं उनके बारे में कि उन्होंने शास्त्रों का ज्ञान कैसे प्राप्त किया…
लिया शास्त्रों का ज्ञान
हिमांगी सखी मां माता-पिता के निधन और बहन की शादी के बाद वृंदावन आ गई थीं. यहां पर उन्होंने गुरू की शरण ली और शास्त्रों का ज्ञान लिया. इसके बाद उन्होंने गुरू की आज्ञा से धर्म के प्रचार की कमान संभाली. वो वृंदावन से वापस मुंबई आईं और धर्म का प्रचार किया. हिंमागी सखी को पशुपतिनाथ पीठ अखाड़े के महामंडलेश्वर की भी उपाधि प्राप्त है. पशुपतिनाथ पीठ अखाड़ा नेपाल में हैं.
हिंमागी सखी मां की भागवत कथाएं
प्रयागराज में साल 2019 के अर्ध कुंभ में उनको पशुपतिनाथ पीठ अखाड़े के महामंडलेश्वर की उपाधि गौरी शंकर महाराज ने दी. गौरी शंकर महाराज नेपाल में गोदावरी धाम के आदिशंकर कैलाश पीठ के आचार्य महामंडलेश्वर हैं. अब तक हिंमागी सखी बैंकॉक, सिंगापुर, मॉरीशस, मुंबई और पटना में 50 से ज्यादा भागवत कथाएं कर चुकी हैं.
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फिल्मों में काम कर चुकी हैं हिंमागी सखी मां
महामंडलेश्वर बनने से पहले हिंमागी सखी फिल्मों में काम कर चुकी हैं. हिंमागी सखी फिल्मों में काम करने के साथ-साथ शास्त्रों का भी अध्ययन करने में लगी रहीं. शास्त्रों का अध्ययन पूरा हो जाने के बाद उन्होंने फिल्मों में काम करना बंद कर दिया. इसके बाद वो सिर्फ श्री हरि के नाम का सिमरन करने लगीं. साथ ही उनके नाम के प्रचार को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया.
किन्नर वैष्णव अखाड़े के गठन की घोषणा
इसी साल हिंमागी सखी ने किन्नर अखाड़े को मान्यता देने की बात भी कही. साथ ही हिमांगी सखी ने महाकुंभ में किन्नर वैष्णव अखाड़े को गठित करने की भी घोषणा की. इस अखाड़े की ओर से कोशिश की जाएगी कि इससे किन्नर समुदाय के संतों को प्रमुखता से जोड़ा जाए. साथ ही इस अखाड़े में दूसरों को भी जगह दी जाएगी. हिंमागी सखी प्रयागराज महाकुंभ में श्रद्धालुओं को पांच भाषाओं में भागवत की कथा सुनाएंगी.
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