
Swami Avadheshanand Giri Ji MaharajImage Credit source: X @AvdheshanandG
Swami Avdheshanand Giri: प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ का आयोजन हो रहा है. ये 26 फरवरी तक चलेगा. इस महाकुंभ में शिव संन्यासी संप्रदाय का जूना अखाड़ा भी हिस्सा ले रहा है. जूना अखाड़ा शिव संन्यासी संप्रदाय के 7 अखाड़ों में सबसे बड़ा है. इस अखाड़े में ज्यादातर साधु नागा हैं. इस अखाड़े की स्थापना उत्तराखंड में की गई. इस अखाड़े का केंद्र वाराणसी के हनुमान घाट पर स्थित है. ये अखाड़ा अपना इष्ट देव भगवान दत्तात्रेय को मानता है. इस अखाड़े में आचार्य महामंडलेश्वर का पद श्रेष्ट होता है. इस समय जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज हैं. आज हम आपको इन्हीं के बारे में बताने जा रहे हैं.
कौन हैं स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज
स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज हिंदू आध्यात्मिक गुरु, संत, लेखक और दार्शनिक के रूप में पहचानें जाते हैं. स्वामी अवधेशानंद इस समय देश के प्रमुख अखाड़ों में शामिल जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. वो इस अखाड़े के पहले पुरुष माने जाते हैं. बताया जाता है कि करीब 10 लाख साधुओं को उन्होंने दीक्षा प्रदान की है. वो हिंदू धर्म आचार्य सभा और वर्ल्ड काउंसिल ऑफ रिलीजियस लीडर्स के बोर्ड के सदस्य भी हैं.
17 साल में छोड़ दिया था घर
स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज यूपी के बुलंदशहर जिले के खुर्जा में एक खाण्डल ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे. 17 साल में उन्होंने घर छोड़कर संन्यास का फैसला किया. इस दौरान वो स्वामी अवधूत प्रकाश महाराज से मिले. स्वामी अवधूत प्रकाश महाराज सेउन्होंने दर्शन और योग की शिक्षा ग्रहण की. इसके बाद उन्होंने गहन तप किया. वो साल था 1985 का जब स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज गहन तप करके हिमालय की कंदराओं से बाहर निकले.
साल 1998 में बने जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर
स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज की मुलाकात उनके गुरू रहे पूर्व शंकराचार्य स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि से हुई. स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि ने ही उन्हें संन्यास की दीक्षा प्रदान की. दिक्षा लेने के बाद ही अवधेशानंद गिरि के नाम से उनका प्रवेश जूना अखाड़े में हुआ. साल 1998 ये वो वर्ष था, जब हरिद्वार में कुंभ लगा था. इसी दौरान स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पद पर नियुक्त किए गए थे.
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