टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत, हाईकोर्ट ने बताया- कितने साल पुराने मामले नहीं खोल सकता इनकम टैक्स विभाग

Himachal Se (ब्यूरो) :  इनकम टैक्स को लेकर अकसर लोग आईटीआर (ITR) न भरने की लापरवाही कर बैठते हैं। बहुत लोगों को तो आईटीआर के स्लैब्स का भी पता नहीं होता। ऐसे में आयकर विभाग नोटिस भेजकर टैक्स वसूलता है। लेकिन, अब हाईकोर्ट के एक फैसले से पुराने समय में टैक्स (Income Tax notice time period) न भरने वालों के लिए खुशखबरी है। हाईकार्ट ने बताया है कि कितने साल तक इनकम टैक्स नोटिस भेज सकता है। 

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दिल्ली हाई कोर्ट ने कही बड़ी बात

टैक्स देने वालों को दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) से बड़ी राहत मिली है। जिनको आयकर विभाग से नोटिस (IT notice time limit) मिल रहे हैं उनमें कोर्ट के फैसले से खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। आयकर विभाग के एक मामले में हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है। 
इस दौरान कोर्ट ने कहा कि 3 साल से पुराने और 50 लाख रुपये से कम के इनकम टैक्स के केस में री-असेसमेंट (re-assessment) नहीं किया जा सकता। दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला आयकर विभाग से नोटिस भेजने के समय को ध्यान रखते हुए धारा 148 के अनुसार सुनाया गया है।

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10 साल पुराना मामला कब खुल सकता है

हाई कोर्ट के फैसले के अनुसार आयकर विभाग किसी भी समय पर आपकी इनकम पर टैक्स (Income Tax) के असेसमेंट के मामले को नहीं खोल सकता है। तीन साल से पुराने और 50 लाख से कम के मामलों में ऐसी कार्रवाई नहीं की जा सकती। हालांकि, 50 लाख या इससे ऊपर आय में 10 साल पुराने मामलों को भी आयकर विभाग (Income Tax Department) खोल सकता है। 

 

नया बना है कानून

आयकर विभाग के कानून नियमों में समय समय पर बदलाव होते रहते हैं। बजट 2021-22 के समय पर री-असेसमेंट के संबंध में नया इनकम टैक्स कानून (Income Tax acts) लाया गया था। इसमें री-असेसमेंट की समय सीमा को 3 साल किया गया था। पहले यह समय सीमा छह साल थी। वहीं, इनकम 50 लाख से अधिक है और गंभीर धोखाधड़ी का मामला है तो 10 साल तक री-असेसमेंट की समय सीमा तय की गई है। 

 

टैक्सपेयर्स को मिली राहत

पहले आयकर विभाग पुराने मामले खोलकर कभी भी नोटिस (income tax notice) भेज देते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। इससे उन लोगों को राहत मिली है, जिनके पुराने मामले हैं और आयकर विभाग ने नोटिस भेज दिया था। अब इन लोगों को राहत मिली है। तय समय सीमा के अंदर की नोटिस (Income Tax notice rules) भेजा जा सकता है। 

 

हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता ने दिया ये तर्क

हाईकोर्ट में याचिका कर्ताओं ने कहा कि जिन मामलों में आय 50 लाख रुपये से कम है, उनमें धारा 149 (1) के खंड (ए) के अनुसार तीन साल की अवधि तय (Income Tax notice time) की गई है। यही लागू होनी चाहिए। 10 साल की समय सीमा उनपर लागू हो जिनकी 50 लाख से ज्यादा इनकम है। 

Income Tax विभाग ने दिया ये तर्क

हाईकोर्ट में आयकर विभाग के अधिकारियों ने कहा था कि आशीष अग्रवाल के केस में सर्वोच्च अदालत के फैसले व उसके बाद में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes) की ओर से जारी एक सर्कुलर को देखते हुए यह नोटिस मान्य है।

हाईकोर्ट ने दिया ये फैसला

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) का माना है कि सीबीडीटी (CBDT) के निर्देश में निहित ट्रैवल बैक इन टाइम सिद्धांत कानूनी नजर में ठीक नहीं है। वहीं लोगों का कहना है कि कोर्ट का यह फैसला स्वागत योग्य है। ये फैसला उनके लिए अच्छा है जो इस प्रकार की कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। जिन्होंने रीट नहीं लगाई है उनके लिए भी रास्ता खुला है। कोर्ट ने माना है कि समय सीमा को इज ऑफ डुइंग बिजनेश के सिद्धांत के तहत सरकार ने छह साल से घटाकर तीन साल किया है।
 

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