नर्स निमिषा को यमन में ब्लड मनी की सजा मिलेगी या किसास की, जानें क्या है दोनों में अंतर

नर्स निमिषा को यमन में ब्लड मनी की सजा मिलेगी या किसास की, जानें क्या है दोनों में अंतर

यमन में सजा-ए-मौत का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया

केरल की नर्स निमिषा प्रिया इस समय चर्चा में है. निमिषा प्रिया को 2017 में एक यमन नागरिक की हत्या का दोषी पाया गया था. उसे देश से भागने की कोशिश करते समय पकड़ा गया और 2018 में उसे मौत की सजा सुनाई गई थी. निमिषा को बचाने के लिए उसके परिवार वाले हर संभव कोशिश कर रहे हैं. वह मारे गए व्यक्ति के परिवार को बल्ड मनी देकर अपनी बेटी के मृत्युदंड को माफ करने की कवायद में है. भारत सरकार ने भारतीय दूतावास के माध्यम से पीड़ित परिवार को 33 लाख रुपये की राशि देने की सहमति दे दी है, लेकिन अभी यह तय नहीं हो पाया है कि निमिशा को राहत मिलेगी या उसे मौत की सजा सुनाई जाएगी.

अगर पीड़ित परिवार ब्लड मनी पर सहमत होता है तो उसे मौत की सजा की जगह सलाखों के पीछे समय गुजारना होगा. हालांकि, यमन समेत कुछ इस्लामिक देशों में ब्लड मनी के अलावा किसास की सजा सुनाने का भी प्रावधान है. आइए जानते हैं कि दोनों में कितना है अंतर

क्या ब्लड मनी से अलग है है किसास

यूएई कानून के तहत अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति की हत्या कर देता है या मौत के घाट उतार देता है तो उस व्यक्ति को पीड़ित के परिवार को हक है कि अपराधियों को कैसे दंडित करें. पीड़ित परिवार कोर्ट से अपराधी के लिए फांसी या मृत्युदंड की मांग कर सकता है. इसके अलावा पीड़ित परिवार मुआवजे के बदले हत्यारे को माफ भी कर सकता है. इसे ही ब्लड मनी कहा जाता है. ब्लड मनी को अरबी में दीया भी कहते हैं.

दीया का जिक्र कुरान में है. यह तभी देय है जब अपराधी को संबंधित आपराधिक संहिता के अनुसार, कथित अपराध का दोषी पाया जाता है. हालांकि, अगर अपराधी यह साबित करने में सक्षम है कि उसने केवल अपने, अपने परिवार या अपनी संपत्ति के खिलाफ किसी खतरे के बचाव में मौत दी है तो उसे कोई ब्लड मनी नहीं देना होगा.

वैसे तो इस्लामिक कानून में हत्या के मामलों में दीया का भुगतान करने का कोई विशेष प्रावधान नहीं है, लेकिन कुछ देशों में ब्लड मनी लागू करने का नियम है. इसके अलावा किसास पर भी विचार किया सकता है. यह उस देश के न्यायालय पर निर्भर करता है कि वह ब्लड मनी का चयन करता है या किसास का विकल्प चुनता है. इससे अपराधी को थोड़ी राहत मिलती है. ऐसे अपराध में आमतौर पर अपराधी को मृत्युदंड दिया जाता है, लेकिन पीड़ित परिवार क़िसास देने की भी अपील कर सकता है. अगर परिवार और कोर्ट किसास का दावा करता है तो अपराधी का मृत्युदंड की सजा कारावास में बदल जाएगा. इसके लिए अपराधी और पीड़ित परिवार को कोर्ट के समक्ष क़िसास के लिए समझौता करना पड़ता है.

इस समझौते पर कोर्ट की मुहर लगती है. उसके बाद अपराधी को मौत की सजा बदलकर कारावास में बदल दी जाती है. निमिशा प्रिया के मामले में दोनों प्रावधान है. यह सबकुछ पीड़ित परिवार और कोर्ट पर निर्भर करता है.

पीड़ित परिवार पूरी तरह से स्वतंत्र है कि वह दीया को चुनता है या किसास पर सहमत होता है. पीडित परिवार दीया के अलावा अलग से क़िसास के लिए कोर्ट में आवेदन कर सकता है. देश के कोर्ट ऑफ़ कैसेशन में इसका उल्लेख किया गया है. क़िसास पर विचार करने में कोई राशि देने की जरूरत नहीं है. कोर्ट अपने विवेक से इस पर फैसला सुनाता है. क्योंकि कोर्ट को यह भी देखना होता है कि क्या पीड़ित के बच्चे हैं क्या पीड़ित परिवार में कमाने वाला इकलौता शख्स था. इन सब को ध्यान में रखकर कोर्ट फैसला सुनाता है.

कुछ देशों में लागू है ब्लड मनी

लोकतांत्रिक देशों में ब्लड मनी या दीया का कोई प्रावधान नहीं है. भारत, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस समेत दुनिया के अनेक देशों में ब्लड मनी लागू नहीं है. वर्तमान में कुछ ही कुछ मुस्लिम देश जाने और अनजाने में होने वाली मौतों के लिए ब्लड मनी या दीया की अनुमति देते हैं, जो यमन, ईरान, ब्रुनेई, सऊदी अरब और कतर हैं. यहां पर ब्लड मनी का नियम लागू होता है. इससे अपराधी को मौत की सजा नहीं सुनाई जाती, बल्कि उसे जेल में डाला जाता है.

कुरान में ब्लड मनी के बारे में क्या लिखा है?

ब्लड मनी का जिक्र इस्लाम के पाक ग्रंथ कुरान में भी है. ब्लड मनी के बारे में लिखा गया है “ऐ ईमान वाले! हत्या के मामलों में तुम्हारे लिए करारा जवाब का नियम तय है. एक व्यक्ति के लिए व्यक्ति, एक दास के लिए दास, एक महिला के लिए महिला, लेकिन अगर अपराधी को पीड़ित को परिवार माफ कर देता है तो ब्लड मनी का निष्पक्ष तौर पर फैसला किया जाएगा. इसके लिए भुगतान विनम्रता पूर्वक किया जाएगा. यह तुम्हारे अल्लाह की ओऱ से एक रियायत और माफी है. ”

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