‘कश्मीर का नाम ऋषि कश्यप के नाम से हो सकता है’, अमित शाह ने PoK को लेकर कह दी बड़ी बात

Amit Shah on Pok: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को पुस्तक जम्मू कश्मीर और लद्दाख: थ्रू द एजेस के विमोचन पर शामिल हुए. कार्यक्रम को दौरान अमित शान ने जम्मू कश्मीर पर आर्टिकल 370 से लेकर आतंकवाद तक अपनी बात कही. इशारों-इशारों में उन्होंने पीओके कश्मीर को लेकर भी कह दिया की वो जल्द ही भारत का हिस्सा होगा.अमित शाह ने कहा कि अंग्रेजों के समय लिखे गए इतिहास की व्याख्या पूरी तरह गलत थी. शाह ने कहा कि कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग पहले भी था, आज भी है और हमेशा रहेगा. अमित शाह ने कहा कि कश्मीर का नाम ऋषि कश्यप के नाम से भी हो सकता है.

इतिहास हमेशा विशाल और कड़वा होता है- अमित शाह

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख थ्रू द एजेस पुस्तक के विमोचन के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि “इतिहास हमेशा विशाल और कड़वा होता है. 150 साल का एक कालखंड था जब इतिहास का अर्थ दिल्ली दरीबा से बल्लीमारान तक और लुटियंस से जिमखाना तक था. इतिहास यहीं तक सीमित था. अब समय आ गया है कि हम शासकों को खुश करने के लिए लिखे गए इतिहास से मुक्त हो जाएं, मैं भारत के इतिहासकारों से अपील करता हूं कि वे हमारे हजारों साल पुराने इतिहास के बारे में लिखें.”

कश्मीर हमेशा से भारत का हिस्सा रहा है- अमित शाह

अमित शाह ने कहा कि भारत को समझने के लिए, हमारे देश को जोड़ने वाले तथ्यों को समझने की जरूरत है. कश्मीर और लद्दाख कहां थे, इसका विश्लेषण करने के लिए इस पर किसने शासन किया, कौन यहां रहता था, कौन-कौन से समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, इसके आधार पर तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करना व्यर्थ है और इतिहास की कुटिल दृष्टि वाले इतिहासकार ही ऐसा कर सकते हैं. भारत की 10,000 साल पुरानी संस्कृति सर्वत्र फैली हुई है. कश्मीर में भी इसके सबूत मौजूद है. जब 8000 साल पुरानी किताबों में कश्मीर और झेलम का जिक्र होता है तो कोई भी इस पर टिप्पणी नहीं कर सकता कि कश्मीर किसका है. कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है, कानून की धाराओं का इस्तेमाल कर इसे कोई अलग नहीं कर सकता यह कानून का उपयोग कर रहा है लेकिन समय के प्रवाह में उन धाराओं को निरस्त कर दिया गया और सभी बाधाएं हटा दी गयी.”

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि “यह पुस्तक सभी कारकों को विस्तार से प्रस्तुत करती है. पुराने मंदिरों के खंडहरों में कला साबित करती है कि कश्मीर किसका हिस्सा है. नेपाल से अफगानिस्तान तक चली बौद्ध यात्रा का एकीकृत हिस्सा कश्मीर भी है. बौद्ध धर्म से लेकर ध्वस्त मंदिरों तक, संस्कृत के प्रयोग से लेकर महाराजा रणजीत सिंह के शासन तक, डोगरा तक का सारा इतिहास शासनकाल, 1947 के बाद की गई गलतियों और उनकी गलतियों के लिए सुधार, इतिहास के सभी 8000 वर्षों को इस पुस्तक में शामिल किया गया है.

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