
भारत में 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं कुछ ही महीनों में शुरू होने वाली हैं। इसी बीच सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि अब 10वीं की बोर्ड परीक्षा नहीं होगी। यह खबर छात्रों और उनके अभिभावकों के बीच भ्रम पैदा कर रही है। लेकिन जब इस दावे की सच्चाई जांची गई, तो वास्तविकता कुछ और ही निकली।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ मैसेज
हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर एक संदेश तेजी से वायरल हुआ। इस मैसेज में कहा गया कि नई शिक्षा नीति (National Education Policy 2020) के तहत अब 10वीं की बोर्ड परीक्षा को समाप्त कर दिया गया है। इसमें यह भी दावा किया गया कि केंद्रीय कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद देशभर में यह बड़ा बदलाव लागू किया जाएगा।
वायरल मैसेज में लिखा गया था:
- “अब केवल 12वीं कक्षा में बोर्ड परीक्षा होगी।”
- “एमफिल पाठ्यक्रम बंद कर दिया जाएगा और कॉलेज की डिग्री अब 5 साल की होगी।”
- “5वीं तक छात्रों को मातृ भाषा, स्थानीय भाषा और राष्ट्रीय भाषा में पढ़ाया जाएगा।”
- “10वीं बोर्ड परीक्षा अब अनिवार्य नहीं रहेगी।”
यह खबर तेजी से लोगों के बीच फैली और कई अभिभावकों और छात्रों ने इसे गंभीरता से लिया।
PIB ने किया दावे का खंडन
जब इस मैसेज की सत्यता की जांच की गई, तो प्रेस इन्फर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने इसे पूरी तरह से झूठा करार दिया। PIB ने अपने आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर एक पोस्ट साझा करते हुए कहा कि इस दावे में कोई सच्चाई नहीं है।
PIB की पोस्ट में कहा गया:
“सोशल मीडिया पर वायरल एक मैसेज में दावा किया जा रहा है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत 10वीं कक्षा के लिए बोर्ड परीक्षा समाप्त कर दी गई है। यह दावा पूरी तरह फर्जी है। शिक्षा मंत्रालय ने ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया है।”
नई शिक्षा नीति और वायरल दावे के बीच का अंतर
यहां समझना जरूरी है कि नई शिक्षा नीति (NEP 2020) ने भारत में शिक्षा के क्षेत्र में कई बदलावों का प्रस्ताव दिया है, लेकिन 10वीं की बोर्ड परीक्षा को समाप्त करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
नई शिक्षा नीति के तहत जिन प्रमुख बदलावों पर जोर दिया गया है, वे हैं:
- बहुभाषी शिक्षा: 5वीं तक छात्रों को मातृ भाषा या स्थानीय भाषा में शिक्षा देने पर जोर।
- शिक्षा का लचीला प्रारूप: 10+2 प्रणाली की जगह 5+3+3+4 का नया ढांचा।
- उच्च शिक्षा में सुधार: एमफिल को बंद करने और स्नातक कार्यक्रमों को अधिक लचीला बनाने की योजना।
हालांकि, इन बदलावों के बावजूद, 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को समाप्त करने का कोई प्रस्ताव या निर्णय सरकार की ओर से जारी नहीं किया गया है।
छात्रों और अभिभावकों को सतर्क रहने की सलाह
इस तरह की अफवाहें न केवल छात्रों में तनाव बढ़ाती हैं, बल्कि शिक्षा प्रणाली पर भी सवाल खड़े करती हैं। शिक्षा मंत्रालय और PIB ने छात्रों और अभिभावकों से अपील की है कि वे केवल आधिकारिक स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर ही विश्वास करें।
PIB फैक्ट चेक जैसे प्लेटफॉर्म का उपयोग करके ऐसी फर्जी खबरों की सच्चाई जांची जा सकती है। यह सुनिश्चित करता है कि अफवाहों के बजाय सत्य और प्रमाणित जानकारी तक ही लोगों की पहुंच हो।
अफवाहों का प्रभाव
सोशल मीडिया पर वायरल इस तरह की झूठी खबरें छात्रों को भ्रमित कर सकती हैं। इस विशेष मामले में, कई छात्रों और अभिभावकों ने बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी को लेकर संदेह व्यक्त किया। इसने शैक्षणिक माहौल को भी प्रभावित किया।
अभिभावकों और शिक्षकों का कहना है कि इस तरह की अफवाहें पढ़ाई में गंभीरता को कमजोर कर सकती हैं और छात्रों को भविष्य की योजनाओं के प्रति असमंजस में डाल सकती हैं।