January 2025 Ekadashi Kab hai: जनवरी में एकादशी व्रत कब-कब है? अभी नोट कर लें सही डेट और महत्व

January 2025 Ekadashi Kab hai: जनवरी में एकादशी व्रत कब-कब है? अभी नोट कर लें सही डेट और महत्व

जनवरी 2025 में एकादशी व्रत कब-कब है?

January 2025 Ekadashi Vrat: हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना गया है. यह व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर रखा जाता है. साल 2025 शुरू हो गया है. एक साल में पूरी 24 एकादशी का व्रत रखा जाता है. एकादशी के दिन भगवान विष्णु की लक्ष्मी मां संग पूरे विधि-विधान से पूजा- अर्चना की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है और सभी पापों से भी मुक्ति मिलती है. आइए जानते हैं जनवरी के महीने में एकादशी का व्रत कब-कब रखा जाएगा.

जनवरी एकादशी 2025 कब है (January Ekadashi 2025 Date)

जनवरी के महीने में दो खास एकादशी का व्रत रखा जाएगा. एक पुत्रदा एकादशी और दूसरी षटतिला एकादशी. पुत्रदा एकादशी को वैकुंठ एकादशी भी कहा जाता है. आइए जानते हैं कि जनवरी में पुत्रदा एकादशी और षटतिला एकादशी कब है.

पौष पुत्रदा एकादशी 2025 कब है? (Paush Putrada Ekadashi 2025 date)

हिंदू पंचांग के अनुसार, जनवरी में पुत्रदा एकादशी का व्रत पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर रखा जाता है. पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 9 जनवरी को सुबह 10 बजकर 52 मिनट पर होगी. वहीं, इस तिथि का समापन 10 जनवरी को सुबह 8 बजकर 49 मिनट पर होगा. ऐसे में, पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत 10 जनवरी 2025 को रखा जाएगा.

षटतिला एकादशी 2025 कब है? (Shattila Ekadashi 2025 Date)

षटतिला एकादशी का व्रत हर साल माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर रखा जाता है. माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 24 जनवरी शाम 5 बजकर 55 मिनट पर होगी. वहीं, इस एकादशी तिथि का समापन 25 जनवरी को शाम 7 बजकर 01 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, षटतिला एकादशी का व्रत 25 जनवरी 2025 के दिन रखा जाएगा.

जनवरी एकादशी महत्व

धर्म शास्त्रों के अनुसार, जनवरी में पड़ने वाली एकादशी का खास महत्व बताया गया है. जनवरी की पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है. साथ ही, षटतिला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को सारे पापों से मुक्ति मिलती है. भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को एकादशी व्रत की महिमा का वर्णन किया था. एकादशी व्रत के पुण्य प्रताप से व्यक्ति की सारी मनोकामना की पूर्ति होती है.

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