Indian Railways : रेलवे आपके हर ट्रिप के बाद करता है ये जरूरी काम, करोड़ों पैसेंजर्स के काम की बात

My Job Alarm –  (IRCTC facilities) भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक  है। अभी भी लगातार रेलवे के विकास पर कार्य जारी है। देश के हर राज्य और हर शहर में रेलवे स्टेशन का पुर्ननिर्माण जारी है। रेलवे स्टेशन्स (railway stations) की दशा में तो सुधार किया ही जा रहा है साथ ही यात्रियों को दी जाने  वाली सुविधाओं का भी खास ध्यान रखा जाता है। भारतीय रेलवे (Indian railways) यात्रियों की सुविधाएं बढ़ाने के लिए व्यापक कोशिश कर रही है। यात्रियों को नई आरामदायक लेनिन की ज्यादा चौड़ी-लंबी चादर, अच्छी गुणवत्ता के साफ-सुथरे कंबल और खाने से लेकर तमाम चीजें इनमें शामिल हैं। अब रेलवे ने हर ट्रिप के बाद यूवी सेनेटाइजेशन प्रक्रिया (Lenin UV Sanitization Process) शुरू की है।

 
रेलवे में हर इस्तेमाल के बाद होती है लेनिन की सफाई

उत्तर रेलवे द्वारा ये बताया गया है कि , “रेलवे (railways) में उपयोग होने वाले लेनिन की सफाई हर उपयोग के बाद की जाती है। लेनिन की सफाई विशेष रूप से मैकेनिकल लॉन्ड्री में होती है, जो पूरी तरह से निगरानी में होती है, जिसमें CCTV कैमरे लगे होते हैं और पूरी प्रक्रिया की निगरानी की जाती है। इतना ही नही, इसके अलावा समय-समय पर अधिकारियों और पर्यवेक्षकों द्वारा आकस्मिक निरीक्षण भी किया जाता है। मीटर से सफेदी की जांच करने के बाद ही लेनिन (lenin cleaning) को आगे यात्रियों को दिया जाता है।”

पहले ऐसे की जाती थी सफाई 

रेलवे अधिकारी का कहना है कि , “उत्तर रेलवे द्वारा गुणवत्ता (Indian railways) सुधार के लिए नए मानक लागू किए जा रहे हैं। इस समय यह सुधार राजधानी, तेजस जैसी विशेष और प्रतिष्ठित ट्रेनों में पायलट आधार पर लागू किया जा रहा है। ये नई प्रकार की लेनिन बेहतर गुणवत्ता की हैं, इनके आकार बड़े हैं और फैब्रिक भी ज्यादा अच्छा है, जिससे यात्री बेहतर अनुभव कर सकते हैं और ज्यादा संतुष्ट हो सकते हैं। रेल में इस्तेमाल होने वाले कंबल की सफाई को लेकर साल 2010 से पहले सफाई का प्रोटोकॉल (linenn cleaning protocol) था कि उसे हर दो या तीन महीने में एक बार साफ किया जाता था, लेकिन अब यह प्रक्रिया हर महीने में दो बार की जा रही है। 

क्या है लिनेन की धुलाई का प्रोसेस

अधिकारियों का कहना है कि जहां लॉजिस्टिक समस्याएं होती हैं, वहां इसे महीने में कम से कम एक बार साफ किया जाता है। इसके अलावा, उत्तर रेलवे हर 15 दिन में नेफ्थलीन वेपर हॉट एयर क्रिस्टलाइजेशन का प्रयोग करता है, जो एक बहुत प्रभावी और समय-परीक्षित तरीका है। इस प्रक्रिया से यात्रियों को एक बेहतर सफाई और सुविधा प्रदान की जाती (process of cleaning bed roll and blanket of trains) है।

अब हर राउंड ट्रिप के बाद होगी लिनन की धुलाई

जानकारी के अनुसार रेलवे अधिकारियों ने ये बयान दिया है कि , “अभी पायलट प्रोजेक्ट के रूप में यूवी सैनिटाइजेशन की शुरुआत की गई है, जिसमें हर राउंड ट्रिप पर अब ब्लैंकेट को यूवी किरणों से सैनिटाइज (bed roll cleaning in railways) किया जाएगा। यह एक बहुत ही उन्नत और आधुनिक तकनीक है, जो आजकल व्यापक रूप से इस्तेमाल की जा रही है। इस प्रक्रिया को फिलहाल दो राजधानी ट्रेनों (Rajdhaani trains) , जम्मू राजधानी और डिब्रूगढ़ राजधानी (dibrugarh Rajdhaani) में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया है। इस प्रयोग से मिले अनुभवों के आधार पर इसे भविष्य में अन्य ट्रेनों में भी लागू किया जाएगा।”
 

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