राहु और केतु’ ये 2 नाम आप ने कई बार सुने होंगे। ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों ग्रहों का जिक्र देखने को मिल जाता है। यह वास्तविक ग्रह नहीं बल्कि छाया ग्रह हैं। हालांकि इनकी बदलती स्थिति का राशियों पर प्रभाव पड़ता है। ये हमेशा वक्री यानी उल्टी चाल चलते हैं। धर्म ग्रंथों की माने तो ये एक राक्षस के शरीर के दो हिस्से हैं। इसमें राहु राक्षस का सिर जबकि केतु धड़ है। कहते हैं राहु-केतु यदि अशुभ हो तो राजा भी भिखारी बन जाता है। आज हम आपको इनसे जुड़ी पौराणिक कथा सुनाने जा रहे हैं।
राहु-केतु कथा
एक बार देवता और दानव मिलकर समुद्र मंथन कर रहे थे। इसमें कई रत्न निकले। इन्हें देवों और दानवों ने आपस में बाँट लिया। अंत में भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर निकले। इस अमृत को जो भी पीता वह हमेशा के लिए अमर हो जाता। इसलिए इसे लेकर देवताओं और दैत्यों में युद्ध होने लगा। ऐसे में भगवान विष्णु मोहिनी अवतार लेकर दोनों पक्षों को अमृत पिलाने लगे। हालांकि वह दानवों को अमृत पिलाने का बस नाटक कर रहे थे। असली अमृत देवताओं को ही पिलाया जा रहा था।
इस बात की भनक वर्भानु नामक दैत्य को लग गई। वह रूप बदलकर देवताओं के संग बैठ गया। जब मोहिनी रूपी विष्णु ने उसे अमृत पिलाया तो सूर्य-चंद्र उसे पहचान गए। उन्होंने सबको बता दिया।
फिर भगवान विष्णु अपने चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। हालांकि वह अमृत पीने की वजह से मरा नहीं। उसका सिर राहु जबकि धड़ केतु कहलाया। ज्योतिष शास्त्र ये दोनों ग्रहों के रूप में जाने जाते हैं। इनका मानव जीवन में कुंडली के अनुसार शुभ-अशुभ फल पड़ता है।
राहु के उपाय
शनिवार के दिन भगवान कालभैरव को मदिरा और दहीबड़े का भोग लगाएं। रोज ‘ना राहु मंत्र ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।’ मंत्र का जाप करें। नहाने के पानी में कुश डालकर रोज नहाएं। शनिवार को मीठी चीजें न खाएं। रोज ऊं नम: शिवाय और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। इन उपायों से राहु से जुड़ सभी दोष दूर हो जाएंगे।
केतु के उपाय
काले रंग की गाय दान करें। इसमें सक्षम न हो तो काली गाय को चारा खिलाएं। गरीब, असहाय, अपंग व्यक्तियों को भोजन और धन दान में दें। इनका अपमान न करें। केतु के बीज मंत्र ‘ॐ कें केतवे नमः’ का जाप करें। बुधवार के दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा कर गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करें। घर के बड़े बुजुर्गों की सेवा करें। इन सभी उपायों से केतु से जुड़े दोष दूर होंगे। इसे भी जरूर पढ़ें -
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